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चिन्मयवाणी


आप व्रत करो और परिवार के सदस्य पर प्रेम ना करो तो आपका व्रत दो कौड़ी का है|प्रेम करने से समस्त विकार शमित होते है|प्रेम करनेवालेको जप ,तप ,व्रत कुछ करने की जरुरत नहीं|केवल प्रेम करो|ये संत तुलसीदासजी के रामचरित मानस का आदेश है|प्रेम करनेवाला हिंसा,क्रोध नहीं करता|पेम करनेवाले इंसान को प्रेम करुना से भर देता है|वो कैसे हिंसा करेगा?गोपियाँ इतनी महान क्यों है!१)वो प्रेम को गुप्त रखती है|जहा तक हो अपने प्रेम को गोपन (गुप्त) रखे वह है गोपी|गोपी साँस ,ससुर,पति,देवर,माता,पिता को अपने प्रेम के बारे में पता लगाने नहीं देती|२)गोपियोंका कृष्णके प्रति बहुत विश्वास है|अब प्रश्न है ऐसे विश्वास की उत्पत्ति कैसे होती है?गोपियों में ये विश्वास आया कहांसे?गोपिरुपा भक्त साधक में धरती समान धैर्य आता है तब विश्वास प्रगट होता है|गोपियोंका मद गया,अहं गया|शुन्य हुयी गोपियाँ|गोपियाँ मद्शुन्य ,मानशुन्य हो जाती है|जब आदमी खाली हो जाता है तब एक ही चीज बचती है|वह है आंसू |योगवशिष्टमें एक कथा है|एक शिष्य अपने गुरु को कहता है मै खाली हो गया|मेरे पास अब सिर्फ ३ चीजे है|१)भिक्षापात्र,२)एक वस्त्र ,३)माला,तस्वीर,ग्रन्थ,आसन (कोही एक)|गुरु बोले तू कहाँ का त्यागी?३-३ चीजे लेकर तू घूम रहा है|उसके  चित को चोट लगी|उसने तीनो चीज छोड़ी|गुरु बोले तेरा त्याग अब भी कम है|तेरा शरीर बचा है|शिष्य कहता है ये सामने जो अग्निकुंड है उसमे मेरा देह दल दूंगा|गुरु बोले तेरा शरीर तू अग्निकुंड में डालने जा रहा है|तू कह रहा है मेरा शरीर|तू अहं को छोड़|अहं मिटा तो शरीर कौन मुसीबत पैदा कर सकता है?अहं मिटा तो भिक्षापात्र.वस्त्र,माला कौन मुसीबत पैदा कर सकता है?                                                  (पूज्य मुरारी बापू की रामकथा प्रवचन से)  
||जानकी जीवन स्मरण जय जय राम|| 

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