कबीर बानी
मोको कहाँ ढूंढे बन्दे, मैं तो तेरे पास में,
ना मैं देवल ना मैं मसजिद, ना काबे कैलास में,
ना तो कौने क्रिया-कर्म में, नहीं योगबैराग में,
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं पल भर की तालास में,
कहै कबीर सुनो भाई साधो, सब स्वासों की स्वास में|
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कबीर
१९९७, २०००
दोहा १, पान ४६
मौज प्रकाशन गृह
मंगेश पाडगावकर
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