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भगवान को मांगे की
भगवान को मांगे की २४ घंटोंमे १ बार आँसू आये| आँसू आये तो देखना पूरा दिन २४घंटे कैसे बीत जाते है |नानक नाम खुमारी चढ़ी रहे दिन रैन | खुमारी चढ़ी रहेगी |गोपी कहती है
सदा रहत बारिस ऋतू हमपर |गोपी उध्हव के साथ बोलती है तब धैर्य धारण करके आँसू को
रोककर बोलनेकी कोशिश करती है|ईश्वर का घर आँसुवोंकी रस्सी पकड़कर पाया जा सकता है|
समाजव्यवस्ताकेलिए विवेक जरूरी है|आत्म व्यवस्ताकेलिए अलौकिक विवेक जरूरी है|
महाजनोके पास कैसे जाये ,छोटे के पास कैसे जाये ये सब शील है|विवेक है|इधर उधर ताकनेसे
ताक़त कम होती है|किसी महापुरुषको ताकनेसे ताक़त बढ़ जाती है|शील माँ के पेटसे,जीन्ससे
आता है|शील स्वभावगत आता है|शील से अलौकिक विवेक आता है|शील सीढ़ी बन जाता है
अलौकिक विवेक केलिए|नानक,सुर ,तुलसी ,मीरा ,शंकराचार्य ,मधवाच्यार्य,निम्बार्क ये महापुरुष हमें मिले| लोग कहते है इतना बड़ा सदगुरु मिलनेपर भी हमारी बीमारियाँ क्यों नहीं
मिटती है|विलम्ब अपनी वोर से हुवा करता है|सदगुरु कभी विलम्ब नहीं करता| लोग कितनी
साधना करते है|उनमे अच्छा बदलाव भी आता है|लेकिन निंदा,इर्षा,द्वेष नहीं गया उनका|ये कुपथ्य
हो रहा है|लोग २ मिनट में ४ बार झूट बोलते है|अपना जीवन आरपार हो|सहज,सरल हो|सत्यपूत
हो|अपनी वाणी से किसी की निंदा न हुयी हो|अपना चिंतन प्रवाही हो|इसके जैसा कोही शिष्य नहीं
जो गुरु कहे उसके बारेमे कुछ भी नहीं सोचता|गुरु नहीं चाहता शिष्य सोचे ना|आप विचार करो|
लेकिन तब अपना दरज्या(स्तर) अलग है|गुरु कभी कमजोर हो सकता है|लेकिन गुरुवाक्य
मजबूत होता है|गुरुकी बात बिना सोचे स्वीकार कर लेना|मेरे विचारही मुझे मेरे सदगुरुसे मुझे
दूर रखते है|आश्रित विचार करताही नहीं|रामजी का शील देखो|सुषेनपर कितना विश्वास है|राघव
का शील यकीन करता है|समस्त बिमारियोंसे मुक्त होना चाहते हो तो एकही करना पड़ेगा|
तुलसीदास कहते है सदगुरु बैद बचन विश्वासा|सूरदास कहते है भरोसो दृढ़ इन चरनन पे|
गुरु बोले उस एक चरनपर (एक अर्थ पंक्ति एक अर्थ गुरुचरन) भरोसा रखेंगे तो क्या नहीं होगा |
1 comment:
VISHWAS BHAKTI KA SHWAS HAI
hum akbar mein padi batey ka vishwas kartey hain; sant ki kahi baton ka vishawas kyon nahi kar pate?
HUMEY VICHAR KI BURI ADAT PADHI HAI
vichar ka fal parmatma nahi hai. vichar ka fal vishwas hai.
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