नामस्मरण
एक अनाम रिश्ता और एहसासहमने देखि है इन आखोंमे महकती खुशबु ,हाथ से छूके इसे रिश्तोंका नाम न दो|सिर्फ एहसास है ये रूह से महसूस करो|करोडो भारतीयोंsse को ,अनेक विदेशीयों को ,पशुपक्षी ,जड़ पदार्थ,समुंदर ज़ल,विशाल आसमान इन सब को भगवान रामचंद्र की दीव्य,मiधुर कथा का रसपान श्री मुरारी बापू ४० साल से ६८९ नव दिवसीय रामकथाद्वारा कर रहे है| करोडो लोगो ने अपने मन को शांती मील रही है ये जरूर एहसास किया होगा |नहीं तो २०१० में भी लाखो लोग श्रद्धा लिए हुए भारत के कोही भी हिस्से में रामकथा सूनने क्यों दौड़ते ?हमसे शुभ कार्य के लिए करोडो रुपये स्वीकार करो ऐसी बिनती करनेवाले ऐसे लोग है जो प्राण मांगे तो भी ख़ुशी वो भी देने के लिए तैयार है|बापू कहते है ऐसे अनेक लोग मेरे पास है|इनकी ये श्रध्हा मेरी संपत्ति है ऐसा बापू कहते है| मुरारी बापू अयाचक बने है|गोपियोंका कृष्णप्रेम ,शंकराच्यार्य से विनोबा भावे तक आध्यात्मिक नभमंडल में चमक रहे संतरूपीतारोंका बापू ने सब को दर्शन कराया है|वे कहते है जीवन का सार है सत्य,प्रेम और करुना | अखंड (प्रेम से साथ) राम नामस्मरण ये कलियुग का सबaसे ओ श्रेष्ट ,सबसे सरल,सहज साधन है ये संत तुलसीदासजी का कहना बापू बड़े प्यार से समझाते है| ईश्वर का कोही भी नाम जो हमें पसंद हो उसका सतत प्रेमसे स्मरण बना रहे ये श्रेष्ट साधना है ये सीख़ हमें बापू से मिली है|बापू कहते है गुरु कृपा ही केवलं शिष्य परम मंगलम|
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