जानकी जीवनस्मरण जय जय राम
एक अनाम रिश्ता और एहसास (भाग-२)गुरु कृपाही केवलं शिष्य परम मंगलम |यहाँ थोडीसी कृपा हुयी वहाँ और कितनी बड़ी घटना घट गयी| अनेक यूनिवर्सिटीसे श्री मुरारी बापू को पीएचडी की पदवी देने की बात आयी तो उन्होंने आदरपूर्वक उसे अस्वीकार कर किया ये उनकी विनम्र मानसिकता का प्रतिक है |उन्हें कोही पद में रुची नहीं है |सब पर उनकी असीम ममता है |वे कहते है धर्म डरना नहीं सीखाता|धर्म तो आदमी को निर्भय बनता है |आप कार में मिर्ची बंदते हो |हनुमान मंदिर के पास से आप गाड़ी से जा रहे हो तब होर्न बजाते हो ,ये सोचकर की कही हनुमान हमसे नाराज न हो जाए|क्या हनुमान यही देखने बैठे है|गृहमंडलके तारो का डर,घर दरवाजा इधर हो उधर हो तो कोही डर |इस डर से हमें बाहर निकलना है ऐसा वे कहते है |मंगल भवन अमंगलहारी भगवान श्रीराम के शरण में रहने मंगल आपका क्या बिगाड सकता है |तुलसीदास कहते है राम नाम का स्वरण करने से सब दिशाएं मंगलमयी बन जाती है|पृथ्वी का साम्राज्य ,सदगुनी पुत्र पुत्री हो ,सारे विश्व में प्रतिष्टा हो |ये सब किसीके पास हो और उसके पास यदि भगवान की भक्ति न हो तो उसने जिंदगी में कुछ भी नहीं पाया |डम डम डिगा डिगा ,हमने देखि है इन आंखोमे,मै देखू जिस वोर सखी रे ऐसे अनेक हिंदी गीत गानेवाले बापू हमारे कितने करीब महसूस होते है |उन्होनो कही बार जोपडी में जाकर खाना खाया है |उन्होंने अपने जीवन में सत्य प्रेम करुना उतारी |राम नाम स्मरण भक्ति को अपने जीवन में उतारा|वे भारत में एक बड़े अनूठे शिक्षक है |संतोंकी,भगवान की ,भक्तोंकी कथा का गान करते समय उनके आंख से बही गंगा का जिसने दर्शन किया हो वह बडभागी है |वे कहते है लकड़ी तो ऐसी जली पीछे रही कोयला और राख |लेकिन मीरा तो ऐसी जली न रहा कोयला न राख|भक्त ऐसा जीवन जीता है ऐसे जीने वाले का जीवन भगवान राम को भी अतिशय प्रिय लगता होगा |
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